क्या वाकई मनीषा की हत्या किसी जानवर ने की थी, इसमें किसी इंसान का हाथ नहीं था?
डॉ. वी.के. सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार)
भिवानी/हरियाणा: हरियाणा के भिवानी ज़िले के संघई की एक बच्ची, जो 11 अगस्त 2025 से अपने स्कूल में नर्सरी/प्ले क्लास के बच्चों को पढ़ा रही थी और उनकी देखभाल कर रही थी, 11 अगस्त 2025 को स्कूल से लौटते समय लापता हो गई और 14 अगस्त 2025 को एक नहर के पास एक सार्वजनिक सड़क पर मृत पाई गई।
हालाँकि भिवानी, हरियाणा की मनीषा न तो हमारे देश की पहली लड़की है और न ही आखिरी लड़की जिसके साथ बलात्कार और हत्या की ऐसी घटनाएँ घटेंगी, ये घटनाएँ हमारे महान भारत में घटित होने वाली अनेक घटनाओं में से एक मात्र हैं, ऐसी और भी कई घटनाएँ घटित होती रही हैं और भविष्य में भी होती रहेंगी।
ऐसी घटनाओं में हमारे देश की प्रथम न्यायपालिका पुलिस का दृष्टिकोण और रवैया?
हमारे महान भारत के विभिन्न राज्यों में हर पल कहीं न कहीं बलात्कार और हत्या की ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं, जहाँ कोई न कोई जानवर किसी बेचारी महिला के कपड़े फाड़ रहा है, लेकिन, वे वास्तव में इंसान नहीं हैं, वे इंसानों जैसे दिखने वाले जानवर हैं और हमारे महान समाज में ये जानवर विभिन्न रूपों और आकारों में हमारे बीच स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, लेकिन हम उन्हें जानवर के रूप में स्वीकार नहीं करते, यह भी हमारी ओर से एक बड़ा अपराध है।
जब कोई महिला/लड़की अचानक गायब हो जाती है, तो देश की प्रथम न्यायपालिका पुलिस, जहाँ हर आम और खास आदमी न्याय की उम्मीद में जाता है और, आम आदमी की मदद करने के बजाय, पुलिस उसका मज़ाक उड़ाती है और कहती है, आपकी बेटी अपने किसी प्रेमी के साथ भाग गई है, ऐसा कहने वाला पुलिस कर्मी कुछ भी हो सकता है, आदमखोर पुलिस की वर्दी में कोई जंगली जानवर ही हो सकता है, कम से कम इंसान तो कतई नहीं। फिर कुछ दिनों बाद उसी लड़की का बेजान शरीर किसी सुनसान जगह पर मिलता है। यह तय है कि उसे किसी जानवर ने न सिर्फ़ नोचा और खाया होगा। जिन लोगों ने उसे नोचा और मारा, वे भी जानवर थे। खाकी वर्दी में इंसान जैसे दिखने वाले और मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसवाले भी जानवर थे। फिर, भ्रष्टाचार के प्रभाव में आकर तथ्यों को छिपाने की नीयत से शव का चीर-फाड़ करने वाले और झूठी रिपोर्ट तैयार करने वाले सर्जन भी जानवर हैं। ऐसे में, क्या हरियाणा पुलिस का यह कहना गलत है कि मनीषा के शरीर को किसी जंगली जानवर ने नोचा था? वे सचमुच जानवर थे।
छोटे जंगली जानवरों द्वारा बड़े जंगली जानवरों का संरक्षण?
जब कोई पुलिस अधिकारी के वेश में समाज के भेड़ियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाकर समाज के कमजोर वर्ग की बेटी का मज़ाक उड़ाता है और उसे समाज या उसके वरिष्ठ अधिकारी, यानी बड़े जानवर द्वारा दोषी पाया जाता है, तो वह बड़ा जानवर, छोटे जानवरों को बचाने की नीयत से, उसे असंवैधानिक रूप से निलंबित कर देता है, जो सज़ा नहीं बल्कि संरक्षण है। क्योंकि जो पुलिस अधिकारी बलात्कारी और हत्यारे से रिश्वत लेता है और जाँच में लापरवाही बरतता है या अपराध होने देता है या अपराध को बढ़ावा देता है, उसे असंवैधानिक निलंबन के बाद रिश्वत देकर बहाल किया जाता है।
संवैधानिक निलंबन या बर्खास्तगी?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के अनुसार, किसी भी लोक सेवक को उसके नियुक्त व्यक्ति या उसके उच्च अधिकारी द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है, जबकि उप-निरीक्षक की नियुक्ति महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है और आम जनता को मूर्ख बनाने के इरादे से, एक सोची-समझी रणनीति के तहत, वरिष्ठ/कनिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जानबूझकर थानेदार को निलंबित कर दिया जाता है। ताकि वह जल्द ही रिश्वत देकर अपने पद पर बहाल हो सके और अपनी जीविका चला सके।
सबसे बड़ा संवैधानिक झूठ?
“कानून सबके लिए समान है” इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता, कृपया कमेंट करके बताएँ कि क्या आज़ादी के बाद से आज तक किसी नेता की पत्नी/बेटी/बहन/बहू के साथ बलात्कार हुआ है? आपको केवल एक ही उत्तर मिलेगा, नहीं। जानते हैं क्यों? हमारे महान देश की यह भी खूबसूरती है कि सत्ताधारी नेताओं के पालतू सुसंस्कृत पशुओं के पास भी लोकतांत्रिक अधिकार हैं लेकिन देश के आम आदमी के पास कोई लोकतांत्रिक/संवैधानिक अधिकार नहीं हैं। हमारे उत्तर प्रदेश की पूर्व सरकार के एक मंत्री आज़म खान की सुसंस्कृत भैंस को ढूंढने के लिए देश के तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की पुलिस ने दिन-रात अथक परिश्रम किया और 24 घंटे के अंदर भैंस को बरामद कर लिया। तीनों राज्यों में से किसी की भी पुलिस की हिम्मत नहीं हुई कि वह कहे कि “अरे, यह तो जवान भैंस है, भटक गयी होगी, भाग गयी होगी कहीं, वापस आ जाएगी।” भाई साहब, कोई कुछ नहीं कह सकता था, क्योंकि यह आज़म खान की भैंस थी, किसी गरीब की बेटी या पत्नी नहीं। लोग कहते हैं, कानून सबके लिए बराबर होता है। अगर बराबर होता, तो न केवल हर दिन किसी गरीब की पत्नी या बेटी लूटी जाती, बल्कि कभी-कभी “ये जवान लड़के हैं, इनसे गलती हो गई, इन्हें फांसी दोगे क्या?” कहने वालों की बहू/बेटी या पत्नी के साथ भी बलात्कार होता। लेकिन ऐसा हो नहीं सकता, क्योंकि यही वो लोग हैं जो समाज में ऐसे जंगली जानवरों का समर्थन करते हैं और इन्हें पोषित करते हैँ।
सच में, जंगली जानवरों ने हरियाणा की मनीषा/दामिनी की जान ले ली, भले ही हत्या बलात्कार के बाद की गई हो। अब क्या सच है और क्या सही, बहराल जानवर अगर ताकतवर हुआ तो, जाँच भी प्रभावित की जायेगी और, साक्ष्य भी नष्ट किये जायेंगें, और क्यों न किये जाये है तो, गरीब की ही बेटी?
